Tuesday, April 3, 2007

इक चेहरा

तमन्नाओं कि इक गली है,
ख्वाहिशों का इक आशियाना है,
सपनों की इस दुनिया में,
मेरा अक्सर आना जाना है

सितारों कि झिलमिलाहट है,
हवाओं का गुदगुदाना है,
खुशबुओं में लिपटी हुई,
वादियों का एक घराना है

दूर कहीँ इक झरने पर,

बहते पानी कि सरगम है,
पत्ते पत्ते डाली डाली,
महक रहा गुल गुलशन है

इस मन बहलाती वादी में,
छोटा सा एक घरौंदा है,
सूरज किरणों से सजा हुआ,
इस घर का हर दामन है

वोह एक इशारा सच्चा सा,
एक चेहरा कच्चा पक्का सा,
पास आते ही आंखों से ओझल,
वोह खेले आंख मिचोली है

ना जाने कब गुम हो जाये वोह,
यह सोचके दिल घबराता है,
उससे मिलने कि चाहत में,
रोज़ यहीं ले आता है

इक रोज़ नज़र आयेगा वोह,
यही सोचके अब तो दिल मेरा,
सपनों की इस नगरी में,
अक्सर आता जाता है.........

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